Rajkumari amrit kaur biography in hindi
राजकुमारी अमृत कौर
राजकुमारी अमृत कौर आहलुवालिया (२ फ़रवरी १८८९ - २ अक्टूबर १९६४) वह भारत की राजनेता तथा स्वतंत्र भारत की प्रथम स्वास्थ्य मंत्री थीं। वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा सामाजिक कार्यकर्ता थीं। वे महात्मा गांधी की अनुयायी तथा १६ वर्ष तक उनकी सचिव रहीं।
स्वास्थ्य मंत्री के रूप में, कौर ने नई दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसके पहले अध्यक्ष बने।[1] कौर ने 1956 में AIIMS की स्थापना के लिए लोकसभा में एक विधेयक पेश किया, जिसके बाद भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण कराने के बाद की गई सिफारिश के बाद। कौर ने एम्स की स्थापना के लिए धन जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, पश्चिम जर्मनी, स्वीडन और संयुक्त राज्य अमेरिका से सहायता प्राप्त की। उन्होंने और उनके भाइयों में से एक ने अपनी पैतृक संपत्ति और मकान (नाम मनोविले में नामित) सिमला, हिमाचल प्रदेश में संस्थान के कर्मचारियों और नर्सों के लिए अवकाश गृह के रूप में दान कर दिया। [2]
परिचय
[संपादित करें]राजकुमारी अमृत कौर आहलुवालिया का जन्म २ फ़रवरी १८८९ को उत्तर प्रदेश राज्य के लखनऊ नगर में हुआ था। इनकी उच्च शिक्षा इंग्लैंड में हुई। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से एम.
ए. पास करने के उपरांत वह भारत वापस लौटीं।
१९४५ में यूनेस्को की बैठकों में सम्मिलित होने के लिए जो भारतीय प्रतिनिधि दल लंदन गया था, राजकुमारी अमृत कौर आहलुवालिया उसकी उपनेत्री थी। १९४६ में जब यह प्रतिनिधिमंडल यूनेस्को की सभाओं में भाग लेने के लिए पेरिस गया, तब भी वे इसकी उपनेत्री (डिप्टी लीडर) थीं। १९४८ और १९४९ में वह 'आल इंडिया कॉन्फ्रेंस ऑफ सोशल वर्क' की अध्यक्षता रहीं। १९५० ई.
में वह वर्ल्ड हेल्थ असेंबली की अध्यक्षा निर्वाचित हुई।
१९४७ से १९५७ ई. तक वह भारत सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहीं। १९५७ ई. में नई दिल्ली में उन्नीसवीं इंटरनेशनल रेडक्रास कॉन्फ्रेंस राजकुमारी अमृत कौर आहलुवालिया की अध्यक्षता में हुई। १९५० ई.
Sir paul girolami biography of mahatmaसे १९६४ ई. तक वह लीग ऑफ रेडक्रास सोसाइटीज की सहायक अध्यक्ष रहीं। वह १९४८ ई. से १९६४ तक सेंट जॉन एमबुलेंस ब्रिगेड की चीफ कमिशनर तथा इंडियन कौंसिल ऑफ चाइल्ड वेलफेयर की मुख्य अधिकारिणी रहीं। साथ ही वह आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑव मेडिकल साइंस की अध्यक्षा भी रहीं।
राजकुमारी को खेलों से बड़ा प्रेम था। नेशनल स्पोर्ट्स क्लब ऑव इंडिया की स्थापना इन्होंने की थी और इस क्लब की वह अध्यक्षा शुरु से रहीं। उनको टेनिस खेलने का बड़ा शौक था। कई बार टेनिस चैंपियनशिप उनको मिली।
वे ट्यूबरक्यूलोसिस एसोसियेशन ऑव इंडिया तथा हिंद कुष्ट निवारण संघ की आरंभ से अध्यक्षता रही थीं। वे गांधी स्मारक निधि और जलियानवाला बाग नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट की ट्रस्टी, कौंसिल ऑव साइंटिफिक तथा इंडस्ट्रियल रिसर्च की गवनिंग बाडी की सदस्या, तथा दिल्ली म्यूजिक सोसाइटी की अध्यक्षा थीं।
राजकुमारी एक प्रसिद्ध विदुषी महिला थीं। उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय, स्मिथ कालेज, वेस्टर्न कालेज, मेकमरे कालेज आदि से डाक्ट्रेट मिली थी। उन्हें फूलों से तथा बच्चों से बड़ा प्रेम था। वे बिल्कुल शाकाहारी थीं और सादगी से जीवन व्यतीत करती थीं। बाइबिल के अतिरिक्त वे रामायण और गीता को भी प्रतिदिन पढ़ने से उन्हें शांति मिलती थी। हिमाचल के मंडी से उन्होंने पहला चुनाव लड़ा था व आजाद भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री रही यही नहीं उन्होंने दिल्ली में एम्स की स्थापना के लिए भी काम किया ऐम्स उन्हीं की देन है।
उनकी मृत्यु २ अक्टूबर १९६४ को दिल्ली में हुई। उनकी इच्छा के अनुसार उनको दफनाया नहीं गया, बल्कि जलाया गया।